तत्व त्रय

श्री:
श्रीमते शठकोपाय नमः
श्रीमते रामानुजाय नमः
श्रीमद वरवरमुनये नमः
श्री वानाचल महामुनये नमः

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श्रीपिल्लै लोकाचार्य ने पूर्वाचार्यों के पद चिन्हों पर चलते हुए, अपनी निर्हेतुक कृपा से “तत्व त्रय” नामक ग्रंथ हमें प्रदान किया। इस ग्रंथ की विषय वस्तु चित, अचित और ईश्वर, इन 3 तत्वों  के गहन चिंतन से सम्बंधित है। इस ग्रंथ को कुट्टी भाष्य (छोटी श्रीभाष्य) भी कहा जाता है, जहाँ सनातन धर्म के सार को समझाया गया है। श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने कृपापूर्वक इस अद्भुत ग्रंथ पर विस्तार पूर्वक व्याख्यान करके, इस ग्रंथ को और अधिक मूल्यवान बना दिया है।

श्रीपिल्लै लोकाचार्य, श्रीवरवरमुनि स्वामीजी – श्रीभूतपुरी

निम्न लेखों की श्रृंखला, इस अत्यंत जटिल विषय वस्तु को चित्रों के माध्यम से सुगमता से समझाने का प्रयास करती है। कृपया इसे पढ़कर आनंद की अनुभूति करे।

-अडियेन भगवती रामानुजदासी

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